उत्तराखण्ड के कुमाऊँ हिमालय में स्थित पिण्डारी ग्लेशियर समुद्रतल से 3,660 मी. की ऊँचाई पर, बागेश्वर जिले में स्थित है। बागेश्वर से पिण्डारी ग्लेशियर की दूरी लगभग 81 कि.मी. है। पिण्डारी ग्लेशियर नंदा देवी और नंदाकोट पर्वत की चोटियों के बीच स्थित छांगुच पर्वत की ढलान पर स्थित है। पिण्डारी ग्लेशियर से ही पिण्डर नदी का उद्गम होता है जो आगे जाकर गढ़वाल क्षेत्र के कर्णप्रयाग में अलकनंदा नदी से संगम करती है। पिण्डारी की यात्रा में हमें प्रकृति के नैसर्गिक सौन्दर्य के बखूबी दर्शन होते हैं। हरे भरे जंगल, नदी की धारा की आवाज, चिड़ियों की आवाजें और हिमालय के दर्शन मन को शांति प्रदान करते है। पिण्डारी ग्लेशियर की यात्रा के दौरान हिमालय की मैक्तोली, पनवालीद्वार, नंदाकोट आदि चोटियों के दर्शन होते हैं। (Pindari Glacier Bageshwar, Pindari Glacier Hight, Bageshwar to Pindari Glacier Distance)
पिण्डारी ग्लेशियर जाने के लिये सबसे पहले बागेश्वर पहुँचना पड़ता है। बागेश्वर से 38 कि.मी. की दूरी पर सौंग गांव पड़ता है। सौंग से यात्रा शुरू होती है। सबसे पहला पड़ाव लोहारखेत (1,708 मी.) पड़ता है। लोहारखेत से धाकुड़ी (2,680 मी.) जाना पड़ता है। लोहारखेत से धाकुड़ी लगभग 9 कि.मी. का ट्रैक मार्ग है। हालांकि लोहारखेत से धूर होकर खर्किया तक मोटर मार्ग भी बन चुका है। परन्तु पुराना ट्रेक रूट धाकुड़ी होकर जाया जाता था। धाकुड़ी पर्यटकों की पसंदीदा जगहों में से एक है। ट्रैकिंग के लिये यह क्षेत्र भी काफी अच्छा है। यहां रहने के लिये कुमाऊँ मंडल विकास निगम व पी. डब्ल्यू. डी. के गेस्ट हाउस भी है। यहां से मैक्तोली व नंदाकोट के काफी अच्छे दीदार होते हैं। धाकुड़ी या कर्मी के आस पास के गांव दोनों विकल्पों से जो भी चुनकर पर्यटक आगे की तरफ बढ़ते हैं तो खर्किया नामक स्थान पड़ता है। यहां तक मोटर मार्ग पहुंच चुका है। यहां भी गांव वालों ने गेस्ट हाउस व ढाबे खोले हुए है। (Pindari Glacier Trek)
खर्किया से आगे बढ़े तो सबसे मुख्य पड़ाव आता है खाती गांव ( 2,210 मी. )। खाती गांव पिण्डारी ग्लेशियर यात्रा में पड़ने वाला सबसे आखिरी गांव है। खाती गांव से सुन्दरढूंगा ग्लेशियर और पिण्डारी ग्लेशियर जाने के लिए रास्ते अलग होते हैं। यहां भी रूकने के लिए के.एम.वी.एन व गांव वालों के गेस्ट हाउस उपलब्ध है। खाती से आगे यात्रा में 11 कि.मी. की ट्रैकिंग के बाद आता है द्वाली (2,575 मी.)। द्वाली क्षेत्र पिण्डर नदी और कफनी नदी का संगम है। ऊँचे पहाड़ों की घाटी में बसे द्वाली से कफनी ग्लेशियर और पिण्डारी ग्लेशियर के मार्ग अलग अलग होते है। द्वाली में ठहरने की व्यवस्था पी.डब्ल्यू.डी. व स्थानीय दुकानदारों द्वारा की गई है। द्वाली से लगभग 5 कि.मी. आगे चलकर फुर्किया (3,260 मी.) आता है। यहां भी पी.डब्ल्यू.डी. का एक गेस्ट हाउस है। फुर्किया से आगे लगभग 6-7 कि.मी. पर पिण्डारी ग्लेशियर पहुंचा जाता है।
पिण्डारी ग्लेशियर से 1 कि.मी. पहले पड़ने वाले बुग्याल में स्वामी धर्मानन्द जी की एक कुटिया है। स्वामी धर्मानन्द पिण्डारी बाबा के नाम से मशहूर है। वह पिण्डारी ग्लेशियर के समीप लगभग 20 साल से भी ज्यादा समय से निवास कर रहें हैं । वह मूल रूप से उड़ीसा के निवासी है। वे पिण्डारी ग्लेशियर को आए पर्यटकों को चाय नाश्ता भी करवाते हैं। खास बात यह भी है कि स्वामी धर्मानन्द ने शिक्षा के क्षेत्र में काफी लोगों की मदद भी की है।
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