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    समेर अधिकारी

    समेर अधिकारी (जीवनकाल: 18वीं सदी का आरम्भ): च्यानी गाँव (गगास नदी के किनारे), रानीखेत, अल्मोड़ा। चन्द राजवंश कालीन अनदेखा राजभक्त, जिसने घोर विपत्ति के समय राजा कल्याणचन्द और उसके पुत्र दीपचन्द का एतिहासिक मदद कर उनका जान बचाई। प्रस्तुत है दोनों राजाओं द्वारा समेर अधिकारी को दिया गया ताम्रपत्र:-


    राजा कल्याणचंद


    "रोहीला बीजैपुर आया बटी रातदीन को कोटा ठुंगसिल गया, फीरी फौज ली चलीया बटी रतारात कै हम पै आया डोलाली रतोरात आघा लगाया आपु बोकीली गया बोजा लग लवाई ली गया। हमरी लग चाकरी करी भली कै करी घेटी हम छीपी। हतीछानो में भलामानस और थाणादार लगाई राख छया रोहीला पर थाणदार भा जी पड़ा हमारो चलाई गढ़ सुं. भै सुकजान घोड़ो आईनै पायो आपनां पुठा कै बोकी ली बेर तुंगेश्वर ली गयो डोला डांडी बोजा भली के नीरभाई ली गया यां चलाई भया अपनी अस्ता। दी तै रौत की भात करी- रूहला आयो अल्मोड़ा सू हम गड सू गया समेर ले बड़ी चाकरी करी तै रोत को बगंसो हमरा सात रया समेर की सेवा समजी,-"शाक 1666 स्रावण (ई. सन् 1744)"


    राजा दीपचन्द


    "समेर ले घेटी बटी पुठा में बोकी हमन में मै तुंगेश्वर ली गयो। पछा रूहीलो पड़ी र छयौ, गढ़वाल संग सलूक करौ, अल्मोड़ा रूहीला को छेद भेद करी रूहीला भगायो, पैदेखां, संग मीलाप करायो, बीजी रौतेलो रजा हुना सुं गढ़ गछयौ बंद करी बीजी मरायो, घाटा में रूहीलो, मरायों बड़ा राजा कल्याणचंद ज्यु सला दी पाठसाई सुं मेल करायो; नजर को साज जोड़ो येकैसलाख (21) माल काले खां पातसाई दिनुं कर छयौ दुई लाख में फीरास्त्र खां खोजा मीली बेर श्री बड़ा राजा ज्युकी बिदाई कराई माल को खसमानु करायो बेर कठायत गंगाजली की बुती समेर ले आयुं करी हमरा राज्य मानसन ले गटी बात उठाई छी तै को सावधान करो, सर्व बात सावधान करो बड़ो राजघाऊ करो। यो तारीफ का लग करू का लगले खुं येसी, रौत ये सेा राजघाऊ अधा भयो न पछा कोई करी सका। शाके 1669 ज्येष्ठ," (ई.सन् 1747) (डा. रामसिंह, ऐंचोली, पिथौरागढ़ के सौजन्य से)।


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