KnowledgeBase


    उदय शंकर और अल्मोड़ा

    udayshankar in almora

    उदय शंकर का कुमाऊँ के पर्वतीय क्षेत्रों विशेष रूप से अल्मोड़ा से प्रेम ही था जो नृत्य सम्राट को अल्मोड़ा खींच लाया | अल्मोड़ा में सन 1938 में मुंबई जैसी कोई आधुनिक सुविधायें नहीं थीं | धार की तुणि और पाताल देवी के बीच स्थित प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थान को उदय शंकर ने अपनी कर्मस्थली बनाया। वर्तमान पिथौरागढ़ -बागेश्वर वाया ताकुला सड़क नहीं थी सिटोली के मज़ार और एक दो बंगलों को छोड़ कर कोई मकान दूकान नहीं थी | इस स्थान को रानीखेत-हल्द्वानी मोटर रोड से जोड़ने के लिए एक कच्ची सड़क थी जो लक्ष्मेश्वर के समीप इससे मिलती थी | यह क्षेत्र जब अल्मोड़ा नगर पालिका से बाहर था इसी स्थान पर उदय शंकर ने अपना "उदय शंकर इंडिया कल्चर सेंटर " स्थापित किया। प्रतिभा के धनी उदय शंकर का नृत्य विभिन्न ललित कलाओं ( जैसे संगीत,चित्रकला रंगमंच, कविता , तथा स्थापत्य कला) से प्रेरित था |कुमाऊनी रामलीला में भी उदय शंकर ने नाट्यकला,लोककला को लेकर प्रयोग किये इसमें छायांकन विधि से रामलीला का मंचन उल्लेखनीय था।(Uday Shankar Academy)


    इसी संस्था में प्रसिद्ध नृत्यांगना व नायिका ज़ोहरा सहगल और उनकी छोटी बहन उज़रा ने शिक्षक के रूप में कार्य किया | प्रसिद्ध लेखक ,निर्देशक,और नायक गुरु दत्त, उदय शंकर की पत्नी अमला शंकर, गायिका लक्ष्मी शंकर, उदय के छोटे भाई पंडित रवि शंकर, उस्ताद अली अकबर खान इस संस्थान से जुड़े रहे और अल्मोड़े में रह कर अपनी प्रतिभा को निखारते रहे |


    उदय शंकर के अल्मोड़ा छोड़ कर जाने का औपचारिक कारण यह बताया जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ जाने के कारण उन्हें अपनी नृत्य कंपनी को लेकर यहाँ से जाना पड़ा | दो अनौपचारिक या जनश्रुतियों पर आधारित कारण भी बताये जाते हैं - (1 ) अल्मोड़े के उस समय के कुछ संभ्रांत लोगों का उदय और उनकी नृत्य कला से विरोध था और वे इसे नयी पीढ़ी के लिए घातक समझते थे उनके अनुसार नाचना-गाना संभ्रांत लोगों का काम नहीं है यह कुछ वैसा ही कला और कलाकार के प्रति घृणा का भाव था जैसा बाद के वर्षों में मोहन उप्रेती और उनकी पत्नी नईमा खान उप्रेती को झेलना पड़ा। (2 ) उस समय सिटोली नगर पालिका की सीमा से बाहर था और उदय शंकर के वाहन को दिन में कई बार नगर में प्रवेश करना पड़ता था। हर समय नगर पालिका चुंगी वसूली करती थी उदय शंकर का वाहन जितनी बार लक्ष्मेश्वर चुंगी से गुज़रता था उतनी बार चुंगी (कर) वसूली जाती थी जिससे उदय शंकर पर अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ा और उन्हें अल्मोड़ा छोड़ना पड़ा।(Uday Shankar Academy Almora)



    लेख - मोहम्मद नाज़िम अंसारी


    हमसे वाट्सएप के माध्यम से जुड़े, लिंक पे क्लिक करें: वाट्सएप उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि

    हमारे YouTube Channel को Subscribe करें: Youtube Channel उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि

    Leave A Comment ?