दुनिया की हवा देखा या रूखी किलै छ दया धर्म की डाली स्या अब सूखी किलै छ.दुनिया की हवा देखा | गुणानन्द डंगवाल 'पथिक' की कविता | Poem of Gunanad Dangwal Pathik
मैं चान्दऊ कि मेरो गौं स्वर्ग बणो पर सौत मैं सणी नर्क से भी बदतर छ लगणू मैं चान्दऊ कि | गुणानन्द डंगवाल 'पथिक' की कविता | Poem of Gunanad Dangwal Pathik
उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि
देवी भगवती मैया कोटगाड़ी की देवी मैया देवी भगवती मैय...
सुन ले दगडिया बात सूड़ी जा बात सूड़ी जा तू मेरी, हिरदी...
जल कैसे भरूं जमुना गहरी ठाड़ी भरूं राजा राम जी देखे। ...
हाँ हाँ हाँ मोहन गिरधारी। हाँ हाँ हाँ ऐसो अनाड़ी चुनर...
शिव के मन माहि बसे काशी आधी काशी में बामन बनिया, आधी...
सिद्धि को दाता विघ्न विनाशन होली खेले गिरजापति नन्द...
गोरी गंगा भागरथी को क्या भलो रेवाड़, खोल दे माता खोल ...
हरि धरे मुकुट खेले होली, सिर धरे मुकुट खेले होली-2, ...
कैले बांधी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी गणपति ब...
हे रामधनी आंख्यु म छे तेरी माया रामधनी हिया म छे लाज...
जहरूवा को मौनो हरूवे नैं जौंनो कस च्योल भौ रे उ मकैं...
Humra Pahadu Ki Nari | हमारा पहाडू की नारी | Narendr...
मुल्क कुमाऊॅं का सुणि लिया यारो, झन दिया कुल्ली बेगा...
जग छु यौ पराई शेरूवा हो, हिटो लौटि चलो। आपणि-आपणि हो...
जोगी आयो शहर में व्योपारी -२ अहा, इस व्योपारी को भूख...
तट यमुना के तीर कदम चढ़ि, तट यमुना के तीर कदम चढ़ि क...
झनकारो, झनकारो, झनकारो, गोरी प्यारो लगो तेरो झनकारो ...
मारि झपैका सिरमौली कौतीक लागो मारि झपैका, मारि झपैका...
नानी लछिमा त्यर चपल टुटल, लौंडा मौहना तेरि नौकरी छुट...